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मनै जोतराम के जाणा |Bhajan 2018 | Pardeep Jandli, Ravi Rajput | K2 SWAR SANDHYA
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क्या है शिव के मस्तक पर धारण किए चंद्रमा की कहानी
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जीवनदायी भी हैं शिव निराकार भगवान शिव को शक्ति पुंज के रूप में युगों-युगों से संसार में विद्यमान माने जाते हैं। कहते हैं कि जन्म और मृत्यु के बंधनों से शिव मुक्त हैं। उन्हें विध्वंस का देवता माना जाता है, लेकिन शिव महापुराण में ऐसी कई कहानियां मिलती हैं, जिनसे पता चलता है कि शिव विनाशक होने के साथ जीवनदाता भी है। ऐसी ही एक कहानी मिलती है शिवपुराण में जब शिव ने चंद्रमा के प्राणों की रक्षा करके उन्हें अपनी जटाओं में विराजित किया था। समुद्र मंथन से जुड़ी है कथा शिवपुराण में वर्णित एक पौराणिक कथा के अनुसार जब समुद्र मंथन किया गया था, तो उसमें से विष निकला था और पूरी सृष्टि की रक्षा के लिए स्वयं भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकले उस विष का पान किया था। विष पीने के बाद उनका शरीर विष के प्रभाव के कारण अत्यधिक गर्म होन लगा। ये देखकर चंद्रमा ने विन्रम स्वर में प्रार्थना की, कि उन्हें माथे पर धारण करके अपने शरीर को शीतलता दें, ताकि विष का प्रभाव कुछ कम हो सके। पहले तो शिव ने चंद्रमा के इस आग्रह को स्वीकार नहीं किया, क्योंकि चंद्रमा श्वेत और शीतल होने के कारण इस विष की असहनीय तीव्र...
गुरु और शिष्य की कहानी इस कहानी से अपनी जिंदगी की तुलना कर सकते है
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